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Muhammad Iqbal – सारे जहाँ से अच्छा

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  • Muhammad Iqbal - सारे जहाँ से अच्छा

Muhammad Iqbal – सारे जहाँ से अच्छा

 

 

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
!!! सारे जहांसे अच्छा हिन्दोस्था हमारा !!!
या मधुर गीताचे लेखक Muhammad Iqbal  महमद इक्बाल यांचा आज जन्म दिन.
९ नोव्हेंबर १ ८ ७ ७
हिंद्स्थान या शब्दाचा त्यांना अभिमान होता . मात्र Muhammad Iqbal  त्यांनीच वेगळ्या मुस्लिम राष्ट्राची मागणी केली. पण फाळणीपुर्विच त्यांचे निधन झाले.
कवीच्या मनातील गोष्ट कवितेत उतरते .
आज हे गाणे भारतीयांच्या मनाचा ठेवा अहे. भारताचे सुंदर वर्णन त्यांनी केले अहे. कवितेचे मूळ उर्दू व देवनागरी लिपीत तुमच्या माहिती साठी.

سارے جہاں سے اچھا ہندوستاں ہمارا
ہم بلبلے ہیں اس کے، یہ گلستاں ہمارا
غربت میں ہوں اگر ہم، رہتا ہے دل وطن میں
سمجھو وہیں ہمیں بھی، دل ہو جہاں ہمارا
پربت وہ سب سے اونچا، ہمسایہ آسماں کا
وہ سنتری ہمارا، وہ پاسباں ہمارا
گودی میں کھیلتی ہیں اس کی ہزاروں ندیاں
گلشن ہے جن کے دم سے رشک جاناں ہمارا
اے آب رود گنگا، وہ دن ہیں یاد تجھ کو؟
اترا ترے کنارے جب کارواں ہمارا
مذہب نہیں سکھاتا آپس میں بیر رکھنا
ہندی ہیں ہم، وطن ہے ہندوستاں ہمارا
یونان و مصر و روما سب مٹ گئے جہاں سے
اب تک مگر ہے باقی نام و نشاں ہمارا
کچھ بات ہے کہ ہستی مٹتی نہیں ہماری
صدیوں رہا ہے دشمن دور زماں ہمارا
اقبال! کوئی محروم اپنا نہيں جہاں میں
معلوم کیا کسی کو درد نہاں ہمارا

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी वो गुलसिताँ हमारा
ग़ुरबत में हों अगर हम रहता हो दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी दिल है जहाँ हमारा
परबत वो सब से ऊँचा हमसायह आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा
गोदी में खेलती है इसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन हैं जिनके दम से रश्क-ए-जनाँ हमारा
ए अब रूद-ए-गंगा वो दिन है याद तुझको
उतरा तिरे किनारे जब कारवाँ हमारा
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशान हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा
इक़्बाल कोइ मेहरम अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहाँ हमारा

Muhammad Iqbal

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